वैज्ञानिकों का कहना है कि फीडबैक लूप के कारण आर्कटिक वार्मिंग तेज़ी से बढ़ रही है
पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा 29 दिसंबर, 2025 को प्रकाशित शोध के अनुसार, समुद्री बर्फ में दरारों और तेल क्षेत्र के प्रदूषण से जुड़े एक नए खोजे गए फीडबैक लूप के कारण आर्कटिक वार्मिंग तेज़ी से बढ़ रही है। इस संयोजन से गर्मी और प्रदूषक निकलते हैं, जिससे बादल और स्मॉग बनते हैं जो सूर्य के प्रकाश को रोकते हैं और पिघलने को और बढ़ाते हैं।
वैज्ञानिकों ने आर्कटिक में तेजी से हो रहे बदलावों को बढ़ावा देने वाली प्राकृतिक और मानव-जनित प्रक्रियाओं के एक शक्तिशाली मिश्रण का पता लगाया है। समुद्री बर्फ में दरारें गर्मी और प्रदूषक छोड़ती हैं जो बादल बनाती हैं और पिघलने की गति को बढ़ाती हैं, जबकि पास के तेल क्षेत्रों से निकलने वाला उत्सर्जन हवा के रसायन को बदल देता है। ये अंतःक्रियाएं फीडबैक लूप को ट्रिगर करती हैं जो अधिक सूर्य के प्रकाश को अंदर आने देती हैं, स्मॉग उत्पन्न करती हैं और वार्मिंग को और भी आगे बढ़ाती हैं।
शोध वैश्विक जलवायु प्रणाली के भीतर आर्कटिक की भेद्यता को उजागर करता है। पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के अनुसार, निष्कर्ष "आर्कटिक प्रणाली कितनी नाजुक हो गई है, इसकी एक परेशान करने वाली तस्वीर पेश करते हैं।" अध्ययन आर्कटिक वार्मिंग को चलाने वाली जटिल अंतःक्रियाओं को समझने और संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है ताकि इसके वैश्विक प्रभावों को कम किया जा सके।
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