ईरान के पूर्व विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ ने कहा कि ईरान नहीं, बल्कि इज़राइल मध्य पूर्व के लिए मुख्य ख़तरा है। उन्होंने यह टिप्पणी 28 दिसंबर, 2025 को की। ज़रीफ़ ने तर्क दिया कि इज़राइल, अमेरिकी समर्थन के साथ, लगातार शांति प्रयासों को कमज़ोर करता रहा है।
ज़रीफ़ के बयान अमेरिका और इज़राइल द्वारा किए गए हमलों के महीनों बाद आए हैं। उन्होंने दावा किया कि ये हमले वाशिंगटन और तेहरान के बीच सुलह वार्ता के पाँच दौर के बाद हुए। उनका मानना है कि इज़राइल ने ऐतिहासिक रूप से ईरान और अमेरिका के बीच सुलह को विफल किया है। ज़रीफ़ ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प की कूटनीति की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इससे ऐसी बातचीत होती है जो युद्ध में समाप्त होती है।
ज़रीफ़ के बयान का तत्काल प्रभाव स्पष्ट नहीं है। इज़राइल या अमेरिका की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की गई है। इन टिप्पणियों से पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में और तनाव आने की संभावना है।
ईरान, इज़राइल और अमेरिका के बीच वर्षों से तनाव बना हुआ है। प्रमुख मुद्दों में ईरान का परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय प्रभाव शामिल हैं। 2018 में ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने से संघर्ष बढ़ गया।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय स्थिति पर बारीकी से नज़र रखेगा। तनाव कम करने के लिए राजनयिक प्रयास किए जाने की उम्मीद है। शामिल पक्षों से जल्द ही और बयानों की उम्मीद है।
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